Today Click 2518
Total Click 3617475
Date 22-04-18
By Mantralayanews :13-11-2017 07:19
नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत सपोर्टिंग रोल निभाते हुए की थी लेकिन जल्द ही वह बड़े पर्दे पर खलनायक के तौर नजर आने लगे. उन्होंने कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई लेकिन उनकी एक्टिंग को देखते हुए और दर्शकों के बीच उनके लिए बढ़ते हुए प्यार को देखते हुए निर्देशक निर्माताओं को उन्हें हीरो की भूमिका में दिखाना पड़ा और इस तरह वह खलनायक से नायक बन गए. उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई फिल्मों में काम किया लेकिन दीवार और शोले फिल्म में काम न कर पाने का अफसोस उन्हें आज भी है.
शत्रुघ्न के मना करने के बाद बिग बी को मिली थी फिल्में
शत्रुघ्न सिन्हा ने एक हिंदी चैनल के कार्यक्रम में बात करते हुए अपने करियर से जुड़े कई किस्सों पर बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि फिल्म शोले और दीवार पहले उन्हें ऑफर की गई थी लेकिन किसी वजह से वह इन फिल्मों में काम नहीं कर पाए. जिसके बाद इन फिल्मों में अमिताभ बच्चन ने काम किया और आज वह सदी के महानायक बन गए. उन्होंने कहा कि ये फिल्में न करने का अफसोस उन्हें आज भी है, लेकिन खुशी भी है कि इन फिल्मों ने उनके दोस्त को स्टार बना दिया. उन्होंने यह भी बताया कि इन फिल्मों को न करना मेरी गलती थी और इस वजह से उन्होंने आजतक 'दीवार' और 'शोले' नहीं देखी.
इस तरह विलेन से हीरो बने थे शत्रुघ्न
फिल्मों में खलनायकी की अपनी पहचान पर शत्रुघ्न ने कहा, "मैंने विलेन के रोल में होकर कुछ अलग किया. मैं पहला विलेन था, जिसके परदे पर आते ही तालियां बजती थीं. ऐसा कभी नहीं हुआ. विदेशों के अखबारों में भी यह आया कि पहली बार हिन्दुस्तान में एक ऐसा खलनायक उभरकर आया, जिस पर तालियां बजती हैं. अच्छे-अच्छे विलेन आए, लेकिन कभी किसी का तालियों से स्वागत नहीं हुआ. ये तालियां मुझे निर्माताओं-निर्देशकों तक ले गईं. इसके बाद निर्देशक मुझे विलेन की जगह हीरो के तौर पर लेने लगे." उन्होंने बताया, "एक फिल्म आई थी 'बाबुल की गलियां', जिसमें मैं विलेन था, संजय खान हीरो और हेमा मालिनी हीरोइन थीं. इसके बाद जो फिल्म आई 'दो ठग', उसमें हीरो मैं था और हीरोइन हेमा मालिनी थीं. मनमोहन देसाई को कई फिल्मों में अपना अंत बदलना पड़ा. 'भाई हो तो ऐसा', 'रामपुर का लक्ष्मण' ऐसी ही फिल्में हैं."