अस्पताल के पेन मैनेजमेंट विशेषज्ञ डा. जयदीप सिंह के अनुसार पेन क्लीनिक में बिना चीर-फाड़ किए सुई को दर्द वाली जगह पहुंचाया जाता है। इसके लिए कूल्ड रेडियो फ्रिक्वेंसी एंबेलेशन मशीन का उपयोग किया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि मरीज को बेहोश करने की जरूरत नहीं होती। निडल को दर्द वाली जगह पर पहुंचाया जाता है। यहां एआइ बेस्ड साफ्टवेयर दर्द के लिए जिम्मेदार नस को देखकर उसे लेजर के माध्यम से जला देता है। यह प्रक्रिया लगभग एक घंटे तक चलती है। जिस हिस्से से सुई डाली जाती है, वहां पर एक टांका लगा दिया जाता है। उसी दिन या दूसरे दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।
निश्चेतना विभाग के एचओडी डा. आरपी कौशल ने बताया कि इस तकनीक से कमर का दर्द, साइटिका, गर्दन दर्द, घुटना दर्द, कूल्हे के दर्द के साथ रीढ़ की हड्डी में होने वाले दर्द को भी 80 फीसदी तक कम किया जा सकता है। स्पाइन का आपरेशन करा चुके मरीजों के दर्द को भी इस तकनीक से खत्म किया जा सकता है।
डॉ. कौशल के मुताबिक इस तकनीक का इस्तेमाल देश के गिने-चुने अस्पतालों में ही होता है। यहां भी इलाज का खर्च तीन से पांच लाख रुपए तक हो सकता है। हमीदिया में सामान्य मरीजों के लिए नाममात्र का खर्च होता है। वहीं आयुष्मान मरीजों के लिए यह सुविधा निश्शुल्क है। सारा दिन सिलाई का काम, घंटों दफ्तरों में कंप्यूटर के आगे बैठ कर काम करने व सारा खेतों में काम करने वाले किसान व मजदूर, घरेलू महिलाएं अथवा घंटों एक पाश्चर में बैठकर काम करने वालों को अक्सर दर्द हो सकता है। यह उपचार ऐसे मरीजों के लिए लाभप्रद हो सकता है।
इन मरीजों को हुआ फायदा
मैं तीन वर्ष से घुटनों के दर्द से परेशान थी, हालत यह थी कि मैं घुटने मोड़ भी नहीं सकती थी। कई अस्पताल में दिखाया, लेकिन सभी ने आपरेशन की सलाह ही दी। हमीदिया के पेन क्लीनिक में मंगलवार को एक घंटे की छोटी सी सर्जरी के बाद अब दर्द पूरी तरह चला गया है।
- शशि बघेल, 42 वर्ष, भोपाल
मैं पांच साल से साइटिका के दर्द से पीड़ित था। दर्द इतना रहता था कि चलना भी दूभर था। दर्द के दौरान सिर्फ दर्दनिवारक दवाएं ही सहारा थीं। हमीदिया अस्पताल में ओपीडी में दिखाया तो पेन क्लीनिक में जाने की सलाह दी। यहां आपरेशन के बाद अब दर्द लगभग खत्म सा हो गया है।
कैलाश अहिरवार, 49 वर्ष, टीकमगढ़