उज्जैन के एक व्यापारी से बदमाशों ने करीब 2 करोड़ रुपए ऐंठ लिए। जालसाजों ने व्यापारी को सीबीआई में दर्ज एक मामले में गिरफ्तारी का डर दिखाया। फिर बड़ी रकम बैंक खाते में ट्रांसफर कराई। व्यापारी की शिकायत पर जांच करते हुए पुलिस ने उत्तर प्रदेश और बिहार से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सुरक्षा कारणों से पीड़ित के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि फरियादी ने 12 अप्रैल को वारदात के बारे में जानकारी दी। उसने कहा, '5 अप्रैल को मेरे मोबाइल पर अज्ञात नंबर से एक वॉट्सएप कॉल आया। कॉलर ने जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल द्वारा किए गए फ्रॉड का रुपया मेरे बैंक खाते में आने की बात कही। उसने कहा कि सीबीआई में इस फ्रॉड की FIR दर्ज है।
कॉलर के वॉट्सएप प्रोफाइल पर महाराष्ट्र पुलिस का लोगो था। उसने कई केंद्रीय विभागों के गोपनीय समझौतों की सहमति का एग्रीमेंट, सीबीआई अधिकारी के साइन किए हुए लेटर और अरेस्ट ऑर्डर वॉट्सएप पर भेजे।
व्यापारी ने बताया कि गिरफ्तारी का डर दिखाकर जालसाज ने मुझे झांसे में ले लिया। उसके कहे अनुसार मैंने पंजाब नेशनल बैंक की नालंदा शाखा के एक खाते में करीब दो करोड़ रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। जालसाज ने इस बात का विश्वास दिलाया कि जैसे ही यह बात साफ हो जाएगी कि नरेश गोयल के फ्रॉड का पैसा मेरे खाते में नहीं आया है, मेरी पूरी रकम लौटा दी जाएगी। इसके बाद भी जब पैसों की मांग की गई तो मुझे ठगी का अहसास हुआ।'
फर्जी नाम से बने अकाउंट में डलवाए पैसे, फिर 40 खातों में ट्रांसफर किए
व्यापारी की शिकायत पर माधव नगर थाना, आईटी सेल, साइबर सेल और क्राइम ब्रांच की टीमों को जांच का जिम्मा सौंपा गया। तकनीकी जानकारी हासिल कर आरोपियों की पहचान करने के लिए एक्सपर्ट टीम बनाई गई। वारदात में यूज किए गए वॉट्सएप नंबर और बैंक खातों की जानकारी निकाली गई।
पता चला कि आरोपियों ने धोखाधड़ी की रकम मुकेश इंटरप्राइजेज के खाते में ट्रांसफर की है। बाद में पैसे अलग-अलग 40 बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर किए गए। टीम ने इसके बाद बेनिफिशियरी खातों से संबंधित बैंक, वॉट्सएप और गूगल के नोडल अधिकारियों से संपर्क किया।
ठगी की रकम मुकेश इंटरप्राइजेज के नाम से खुले खाते में ट्रांसफर कराई गई थी। यह अकाउंट मुकेश कुमार ने अपने दोस्त अमरेंद्र कुमार के कहने पर खुलवाया था। बैंक खाते के दस्तावेज, रजिस्टर्ड सिम और नेट बैंकिग के लॉगिन आईडी-पासवर्ड अमरेंद्र कुमार के पास ही थी। उसने ये अपने दोस्त अनिल कुमार से शेयर किए थे। इसकी ऐवज में ठगी की रकम का 4-5 प्रतिशत मुकेश और अमरेंद्र को दिया गया।
जेल में हुई थी मुलाकात, फिर बनाया जालसाजों का गिरोह
अमरेंद्र कुमार और अनिल कुमार यादव की मुलाकात 2022 में कानपुर जेल में हुई थी। अनिल ने साइबर ठगी द्वारा अमरेंद्र को करोड़ों कमाने का लालच दिया और बैंक खाते मुहैया कराने की बात कही थी। जेल से बाहर आकर इन्होंने अपने गैंग में शरद पांडे, शाहनवाज आलम और मुकेश कुमार को शामिल कर लिया।
अमरेंद्र और शरद बीएससी तक पढ़े हैं। ये दोनों बिहार में पेपर सॉल्वर के रूप में भी पकड़े गए थे। शाहनवाज और मुकेश आठवीं पास हैं।
जांच के दौरान पुलिस को पता लगा कि इस गिरोह ने देश के कई राज्यों में इसी तरह साइबर ठगी को अंजाम दिया है। इनके कब्जे से कई बैंक खातों की डिटेल और 10 मोबाइल जब्त किए हैं।