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प्रभार के लिए 40 लाख का कलेक्शन

Updated on 21-09-2022 09:36 PM
एमएनसी न्यूज नेटवर्क, भोपाल।

राज्य सरकार के एक विभाग में अधिकारियों को उच्च प्रभार सौंपने के लिए प्रदेश भर से 40 लाख रुपए इकट्ठा करने का मामला सामने आया है। एडिशनल डायरेक्टर ने अपने मातहत अधिकारियों को प्रभारी दायित्व देने के लिए यह कलेक्शन किया है। इस संबंध में फाइल भी डायरेक्टर के माध्यम से आगे बढ़ा दी है। यह फाइल विभाग के शीर्ष वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के टेबल पर पहुंची है जहां पर कई दिनों से फाइल लंबित पड़ी है। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को प्रभारी दायित्व के लिए भारी मात्रा में कलेक्शन की जानकारी मिल गई है। इसको लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने जवाब तलब भी किया है। वहीं इस मामले को लेकर विभागीय मंत्री ने भी इस मामले में संबंधी फाइल को तलब किया है। बता दे कि विभाग के जिस एडिशनल डायरेक्टर ने इतनी बड़ी राशि प्रदेश भर से कलेक्शन की है वह रिजर्व कोटे से है और विभाग में उसका दबदबा कायम है। डायरेक्टर से लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी उस पर एक्शन लेने से घबराते हैं। विभागीय मंत्री पिछले दिनों एडिशनल डायरेक्टर का अन्यत्र तबादला करने की नोटशीट भी चला चुके हैं लेकिन मंत्री जी नोट शीट महीनों से धूल खा रही है। 

कलेक्टर पर गिर सकती है गाज

प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर पर कभी भी गाज गिर सकती है। हाईकोर्ट से लेकर राज्य सरकार के एक मंत्री ने कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रालय में आईएएस अधिकारी ने पदस्थापना के दौरान राज्य सरकार की काफी मदद की थी। इससे प्रसन्न होकर सरकार ने आईएएस अधिकारी को कलेक्ट्री सौंपी। अब कलेक्टर दायित्व पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। कलेक्टर की कमजोर कार्यप्रणाली और प्रशासन पर ढीली पकड़ के चलते सरकार की छवि खराब हो रही है। पिछले दिनों चुनाव के दौरान कलेक्टर पर हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की थी और यहां तक कह दिया था कि कलेक्टर, राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी का एजेंट बनकर काम कर रहा है। वहीं पिछले दिनों एक मंत्री अपनी ही सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री को खुला पत्र लिखकर कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए। हालांकि मंत्री का खुला पत्र कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल खड़े नहीं कर रहा लेकिन जिले का प्रशासनिक प्रमुख होने के नाते कलेक्टर की जिम्मेदारी कैसे निभा रहे हैं यह जरूर बताता है? हम बात कर रहे हैं मिड डे मील को लेकर एक मंत्री ने जो खुला पत्र विभाग के मंत्री को लिखा इससे सरकार की न केवल किरकिरी हुई बल्कि कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह भी लग रहा है। मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि कलेक्टर अब ज्यादा दिन वहां टिक नहीं पाएंगे।

उमंग की राह पर बृजेंद्र !

शिवराज सरकार के मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने मिड डे मील में अव्यवस्था को लेकर अपनी ही सरकार को घेरते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री उमंग सिंगार की राह पकड़ ली है। सरकार के मंत्री सिंह ने भले ही किसी पर सीधे सवाल नहीं उठाया लेकिन उनका खुला पत्र राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर रहा है। कुछ इसी तरह का पत्र तत्कालीन कमलनाथ सरकार के वन मंत्री उमंग सिंगार ने भी अपनी सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाये थे। सिंगार ने ना केवल सरकार की कार्यप्रणाली को सवालों के कटघरे में खड़ा किया था बल्कि अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। हालिया ताजा मामला भाजपा सरकार के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने पन्ना जिले में 100 से अधिक सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन 6 माह से नहीं बांटने का मामला उठाया तो बवाल मच गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद मीटिंग कर कलेक्टर को उसी दिन शाम को रिपोर्ट तलब कर ली। संभवत यह पहला मामला है कि राज्य सरकार के मंत्री ने अपनी ही सरकार को लेकर इस तरह पोषण आहार में हो रही अव्यवस्था पर सवाल खड़े किए। यह बात अलग है कि खनिज मंत्री के पत्र को कांग्रेस मुद्दा नहीं बना पाई जबकि पूर्व मंत्री उमंग सिंगार के पत्र पर भाजपा ने बवाल मचा दिया था।

किसने खरीदी सैकड़ों एकड़ जमीन ?

राज्य मंत्रालय के गलियारे में इन दिनों एक प्रश्न काफी चर्चा में है। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की वापसी से पहले पार्क से सटे हुए गांवों की सैकड़ों एकड़ जमीन किसने खरीदी ? जमीन राज्य सरकार के कद्दावर नेता और एक आईएएस अधिकारी के सांठगांठ से खरीदी गई। प्रश्न यह नहीं कि जमीन खरीदी गई बल्कि प्रश्न यह है कि सांठगांठ में खरीदी गई जमीन के पैसे अभी तक किसानों को नहीं दिए गए। बताया जा रहा है कि कद्दावर भाजपा नेता और अधिकारी अब इस जमीन को टुकड़ों टुकड़ों में काफी ऊंचे दामों में बेचने लगे हैं और किसानों को ओने पौने दामों की राशि दे रहे हैं। पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री कुनो पहुंचे तो पीड़ित किसानों ने प्रधानमंत्री से मिलने का प्रयास किया जिसे स्थानीय प्रशासन ने विफल कर दिया। बताया जा रहा है कि कई एकड़ जमीन खरीदी गई है और अब इस जमीन को बेचने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों पर भी दबाव है।

एसपी के बाद कलेक्टर भी हटाए गए

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह एक्शन मोड में है। सोमवार को पुलिस अधीक्षक अरविंद तिवारी को सस्पेंड करने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री ने झाबुआ के कलेक्टर सोमेश मिश्रा को भी हटा दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को झाबुआ दौरे पर थे और मुख्यमंत्री को वहां पर सरकारी योजनाओं में कमीशन खोरी की भारी शिकायतें मिली। उसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य शासन ने मंगलवार सुबह झाबुआ के कलेक्टर को तत्काल पद से हटा दिया। बता दें कि एक दिन पहले सोमवार को ही मुख्यमंत्री ने झाबुआ के पुलिस अधीक्षक अरविंद तिवारी को विवादित मोबाइल ऑडियो वायरल होने पर हटा दिया था। एसपी ने मोबाइल पर चर्चा के दौरान पॉलिटेक्निक छात्रों से ना केवल अभद्रता की थी बल्कि उन्हें अपमानित भी किया था।


कांग्रेस को एक और झटका ?

प्रदेश कांग्रेस को आने वाले दिनों में एक और बड़ा झटका लग सकता है। कांग्रेस का एक विधायक, भाजपा नेताओं के लगातार संपर्क में हैं और भाजपा नेता भी कांग्रेसी विधायक को घेरने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर इंदौर से विधायक संजय शुक्ला ने अपने विधानसभा क्षेत्र के 400 से अधिक लोगों को अयोध्या की तीर्थ यात्रा पर रवानगी के समय न केवल मोदी को बेहतर प्रधानमंत्री बताया बल्कि उनकी जमकर प्रशंसा भी की और यहाँ तक कहा कि अयोध्या में भगवान राम के दर्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वजह से श्रद्धालुओं को होंगे। कांग्रेसी विधायक संजय शुक्ला का सार्वजनिक आया यह बयान कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन गया है। बयान के बाद इंदौर कांग्रेस के एक विधायक ने विधायक संजय शुक्ला से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन संजय शुक्ला ने उस विधायक का मोबाइल उठाना तो दूर बात करना भी पसंद नहीं किया। अब कांग्रेस को चिंता है कि 2020 में बड़ी टूट के बाद 2022 में कांग्रेस के छुटपुट विधायक यदि पार्टी से बिखर गए तो 2023 की विधानसभा आम चुनाव की लड़ाई भारी चुनौतीपुर्ण हो जाएगी।

विधानसभा में होती है सहज मुलाकात

राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक एक दूसरे से बंगले या किसी अन्य स्थान पर मिलते हैं तो इसके लिए कई मायने निकाल लिए जाते है। मुलाकात को राजनीतिक चश्मे से जोड़ कर देखा भी जाता है । मुलाकात कभी किसी विधायक पर भारी पड़ती है तो कभी किसी विधायक की आस्था पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। लेकिन इन मुलाकातों पर अगर कोई प्रश्न चिन्ह ना लगे और मुलाकात भी सहज हो जाए तो विधानसभा में सदन इसके लिए सबसे मुफीद जगह मानी जाती है। हाल ही संपन्न हुए विधानसभा के पावस सत्र के दौरान सदन मे कांग्रेस के विधायकों व सिंधिया गुट के मंत्रियों ने गले लग कर एक दूसरे की पीठ थप थपाई। कांग्रेसी विधायक अपने पूर्व साथियों ( सिंधिया गुट के राज्य सरकार में मंत्रियों) से इस तरह गले मिले जैसे कि बिछड़े हुए बरसों हो गए। उदाहरण के तौर पर कांग्रेस विधायक तरुण भनोट, मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत से सदन में सत्ता पक्ष की ओर जा के गले मिले तो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कांग्रेस पक्ष पहुंचकर वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील का हाल-चाल भी जाना। बता दें कि इन दिनों आरिफ अकील बीमार चल रहे हैं और वह विधानसभा में पहुंचे थे। मतलब यह है कि कांग्रेस से सिंधिया गुट से जो विधायक भाजपा में शामिल हुए उनकी मुलाकात अपने कांग्रेस के पूर्व साथियों से विधानसभा में सहज हो जाती है जिसके कोई राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाते है।

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